तो चलिए जानते हैं - mutual fund kis tarah se jokhim prabandhan me sahayta krte hain
म्यूचुअल फंड्स किस तरह से जोखिम प्रबंधन में सहायता करते हैं?

यदि आप म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश करते हैं, तो किस तरह से म्यूच्यूअल फण्ड रिस्क मैनेज करता है, यहाँ कुछ तरीके बताये गए हैं, जिससे म्यूच्यूअल फण्ड जोखिम प्रबंधन करता हैं |
- डायवर्सिफिकेशन द्वारा जोखिम प्रबंधन करना
- बेहतर स्टॉक चुनकर जोखिम प्रबंधन
- समय समायोजन के माध्यम से जोखिम प्रबंधन
- परिसंपत्ति आवंटन के माध्यम से जोखिम प्रबंधन
1. डायवर्सिफिकेशन द्वारा जोखिम प्रबंधन करना
म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करने का एक सबसे बड़ा फायदा जो आपको मिलता है, कि इसमें आप जो पैसा इन्वेस्ट करते हैं, वो म्यूच्यूअल फण्ड द्वारा बहुत सी अलग-अलग कंपनियों में निवेश किया जाता है। और जब आपका पैसा अलग-अलग कंपनियों के शेयरों में इन्वेस्ट होता है, तो ऐसे में यदि कोई एक कंपनी किसी भी कारण से लोस में जा रही होती है, तो इसका असर आपके पूरे इनवस्टमेंट पर नहीं पड़ता। और म्यूच्यूअल फण्ड के द्वारा जोखिम प्रबंधन करने का यह सबसे अच्छा तरीका है |
2. बेहतर स्टॉक चुनकर जोखिम प्रबंधन
म्यूच्यूअल फण्ड आपके इन्वेस्टमेंट में जोखिम को कम करने के लिए स्टॉक चुनने में बहुत ध्यान देते हैं, और यह म्यूचुअल फंड के द्वारा आपके पैसे को सुरक्षित रखने का एक और तरीका है। ज्यादातर म्यूचुअल फंड में अनुभवी फंड मैनेजर होते हैं, जिनके साथ विशेषज्ञों की एक टीम भी होती है। यह दो मुख्य बातें सुनिश्चित करता है:
- यहाँ किसी स्टॉक को खरीदने या बेचने से पहले अच्छे से जांच की जाती है। स्टॉक के बारे में पूरी जानकारी ली जाती है और यह देखा जाता है कि वो स्टॉक आपको किस तरह बड़ा रिटर्न दे सकता है |
- डीलर यह तय करते हैं, कि आपको बाजार में सबसे अच्छी कीमत मिले और खरीदारी सही तरीके से की जाए ताकि आपको सबसे अच्छा दाम मिले।
इसके साथ ही, म्यूचुअल फंड द्वारा आपके इन्वेस्टमेंट को लगातार ट्रैक किया जाता है। म्यूच्यूअल फण्ड मैनेजर व विशेषज्ञों की टीम समय समय पर आपके इन्वेस्टमेंट की जांच करती रहती है |
3. समय समायोजन के माध्यम से जोखिम प्रबंधन
यह एक थोड़ी ज़्यादा आक्रामक रणनीति है, जिसे बॉन्ड पोर्टफोलियो और बॉन्ड फंड पर लागू किया जाता है। हर बॉन्ड की एक निश्चित अवधि होती है, लेकिन बॉन्ड की अवधि के दौरान मिलने वाले ब्याज भुगतान यह सुनिश्चित करते हैं कि बॉन्ड की कुल अवधि कम हो जाए। फंड मैनेजर लगातार पोर्टफोलियो को अवधि वक्र पर बदलते रहते हैं।
उदाहरण के लिए, अगर उन्हें लगता है कि ब्याज दरें कम होंगी, तो वे लंबे समय के बॉन्ड खरीदते हैं ताकि ज्यादा मुनाफा कमा सकें। अगर उन्हें लगता है कि ब्याज दरें बढ़ेंगी, तो वे छोटे समय के बॉन्ड खरीदते हैं।
जब लोग खुद से डेट सिक्योरिटीज़ में निवेश करते हैं, तो उनके पास अवधि को सही से समायोजित करने की क्षमता नहीं होती है। इसलिए, म्यूचुअल फंड लोगों को कई जोखिमों से बचने में मदद करते हैं।
4. परिसंपत्ति आवंटन के माध्यम से जोखिम प्रबंधन
जोखिम को कम करने का एक दिलचस्प तरीका एसेट एलोकेशन (संपत्ति आवंटन) के माध्यम से है। व्यक्ति अपनी उम्र, जोखिम उठाने की क्षमता, ब्याज दरों पर विचार और पी/ई अनुपात जैसे मापदंडों के आधार पर अपने निवेश को अलग-अलग जगह बांट सकते हैं।
कुछ विशेष एलोकेशन फंड होते हैं जो यह तय करते हैं कि कब और कितना पैसा इक्विटी (शेयर) और डेट (बॉन्ड) में लगाना है। ये फंड सही समय पर इक्विटी और डेट में निवेश करते हैं ताकि गलत समय पर गलत जगह निवेश करने का जोखिम कम हो जाए। हालांकि, फंड एक सामान्य निर्णय लेते हैं और हर व्यक्ति की जरूरतों को पूरी तरह से नहीं समझ सकते, फिर भी निवेशकों के पास कई विकल्प होते हैं।
एलोकेशन फंड के पास यह स्वतंत्रता होती है कि वे बाजार में अच्छे अवसरों की प्रतीक्षा करते हुए नकद राशि अपने पास रख सकते हैं। इस प्रकार, जोखिम को कम करना म्यूचुअल फंड की एक महत्वपूर्ण भूमिका है। ये फंड न केवल पेशेवर तरीके से प्रबंधित होते हैं, बल्कि जोखिम को कम करने के लिए आक्रामक रणनीतियों का भी उपयोग करते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि म्यूचुअल फंड विविधीकरण का लाभ देते हैं, जो निवेश करने के इच्छुक लोगों के लिए एक बड़ा फायदा है।
आज हमने जाना -
आज के ब्लॉग में म्यूचुअल फंड्स किस तरह से जोखिम प्रबंधन में सहायता करते हैं? के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी हासिल की तथा अन्य बातेँ भी हमने सीखी।
आशा करता हूँ आपको हमारे द्वारा दी गई ये जानकारी बहुत काम आय। हमारे द्वारा दी गई इस जानकारी को पढ़ने के लिए अपना कीमती समय देने के लिए बहुत - बहुत धन्यवाद 🙏😊
यदि आपको म्यूचुअल फंड्स से जुडी किसी भी तरह की जानकारी चाहिए तो आप comment करके जरूर बताएं। हम जल्द ही आपके लिए जानकारी लाने की कोशिस करेंगे।
धन्यवाद