जब आप शेयर मार्केट में निवेश करते हैं, तो आपने कई बार "रेजिस्टेंस" (Resistance) शब्द सुना होगा। यह एक बहुत ही जरूरी टर्म है, जो आपको शेयर मार्केट के काम को समझने में मदद करता है। इस ब्लॉग में, हम आपको बहुत ही आसान हिंदी में रेजिस्टेंस का मतलब और इसके बारे में सभी जरूरी जानकारी देंगे। साथ ही, हम कुछ सामान्य सवालों (FAQs) के जवाब भी देंगे।
तो चलिए जानते हैं - शेयर मार्केट में रेजिस्टेंस का मतलब क्या होता है?
Resistance Meaning In Hindi In Share Market

रेजिस्टेंस का मतलब - शेयर मार्केट में रेजिस्टेंस का मतलब होता है वह कीमत (Price Level) जहां पर शेयर की कीमत बढ़ना बंद हो जाती है। इसे ऐसे समझ सकते हैं:
- जब किसी शेयर की कीमत लगातार बढ़ रही होती है, तो एक समय ऐसा आता है जब वह एक खास स्तर पर पहुंचकर रुक जाती है।
- इस स्तर को ही "रेजिस्टेंस लेवल" कहा जाता है।
- इस लेवल पर निवेशक शेयर को बेचना शुरू कर देते हैं, जिससे शेयर की कीमत और ऊपर नहीं जा पाती।
रेजिस्टेंस क्यों बनता है?
रेजिस्टेंस बनने के कई कारण हो सकते हैं:
- ज्यादा सेलिंग प्रेशर: जब शेयर की कीमत बढ़ती है, तो कई निवेशक सोचते हैं कि अब शेयर बेचकर मुनाफा लेना चाहिए। इस वजह से शेयर की कीमत बढ़ना रुक जाती है।
- मनोवैज्ञानिक सीमा (Psychological Level): कुछ खास प्राइस लेवल (जैसे 100, 500, या 1000) पर निवेशक ज्यादा एक्टिव हो जाते हैं। ये लेवल रेजिस्टेंस का काम करते हैं।
- तकनीकी संकेत (Technical Indicators): तकनीकी विश्लेषण (Technical Analysis) में कुछ चार्ट और पैटर्न ऐसे होते हैं जो रेजिस्टेंस को दिखाते हैं।
रेजिस्टेंस को कैसे पहचानें?
रेजिस्टेंस लेवल को पहचानने के लिए आपको तकनीकी विश्लेषण करना होगा। इसके लिए आप चार्ट्स और इंडिकेटर्स का इस्तेमाल कर सकते हैं।
- प्राइस चार्ट देखें: शेयर की कीमत का चार्ट देखें। जिस लेवल पर कीमत बार-बार रुक रही हो, वह रेजिस्टेंस हो सकता है।
- मूविंग एवरेज: मूविंग एवरेज (Moving Average) का इस्तेमाल करें। अगर कीमत मूविंग एवरेज को पार नहीं कर पा रही है, तो वह रेजिस्टेंस हो सकता है।
- फिबोनाची रिट्रेसमेंट (Fibonacci Retracement): यह एक तकनीकी टूल है जो आपको रेजिस्टेंस लेवल पहचानने में मदद करता है।
रेजिस्टेंस का निवेशकों के लिए महत्व
रेजिस्टेंस का सही इस्तेमाल निवेशकों के लिए फायदेमंद हो सकता है।
- मुनाफा कमाने का मौका: जब शेयर की कीमत रेजिस्टेंस के करीब हो, तो निवेशक इसे बेच सकते हैं और मुनाफा कमा सकते हैं।
- खरीदने का सही समय: अगर कीमत रेजिस्टेंस को तोड़कर ऊपर जाती है, तो यह खरीदने का अच्छा मौका हो सकता है।
- जोखिम कम करना: रेजिस्टेंस की पहचान करके आप अपने नुकसान को सीमित कर सकते हैं।
रेजिस्टेंस कैसे टूटता है?
- ज्यादा डिमांड: जब किसी शेयर की डिमांड बहुत ज्यादा बढ़ जाती है, तो रेजिस्टेंस टूट सकता है।
- पॉजिटिव न्यूज: कंपनी से जुड़ी अच्छी खबरें आने पर निवेशक शेयर खरीदने लगते हैं, जिससे रेजिस्टेंस टूट जाता है।
- तकनीकी संकेत: अगर किसी शेयर के तकनीकी संकेत मजबूत हों, तो यह रेजिस्टेंस को तोड़ सकता है।
रेजिस्टेंस को कैसे इस्तेमाल करें?
- ट्रेडिंग रणनीति: अगर आप ट्रेडिंग करते हैं, तो रेजिस्टेंस लेवल का इस्तेमाल करके अपनी रणनीति बना सकते हैं।
- शॉर्ट सेलिंग: रेजिस्टेंस के पास शॉर्ट सेलिंग (Short Selling) करना फायदेमंद हो सकता है।
- लॉन्ग पोजिशन: अगर रेजिस्टेंस टूट जाए, तो लॉन्ग पोजिशन लेकर मुनाफा कमाया जा सकता है।
सपोर्ट और रेजिस्टेंस में अंतर
सपोर्ट और रेजिस्टेंस में अंतर
सपोर्ट | रेजिस्टेंस |
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सपोर्ट वह लेवल है जहां शेयर की कीमत गिरना बंद कर देती है। | रेजिस्टेंस वह लेवल है जहां शेयर की कीमत बढ़ना बंद कर देती है। |
इसे "नीचे का स्तर" कहा जाता है। | इसे "ऊपर का स्तर" कहा जाता है। |
यहां से कीमत बढ़ने लगती है। | यहां से कीमत गिरने लगती ह |
FAQ - Resistance Meaning In Hindi In Share Market
रेजिस्टेंस का मतलब क्या है?
रेजिस्टेंस वह स्तर है जहां शेयर की कीमत बढ़ना बंद कर देती है और रुकावट महसूस होती है।
रेजिस्टेंस और सपोर्ट में क्या फर्क है?
रेजिस्टेंस वह लेवल है जहां कीमत बढ़ना बंद करती है, जबकि सपोर्ट वह लेवल है जहां कीमत गिरना बंद करती है।
क्या रेजिस्टेंस हमेशा एक जैसा रहता है?
नहीं, रेजिस्टेंस बदल सकता है। जैसे-जैसे मार्केट की स्थिति बदलती है, रेजिस्टेंस का लेवल भी बदलता है।
रेजिस्टेंस लेवल को कैसे पहचानें?
रेजिस्टेंस को प्राइस चार्ट, मूविंग एवरेज, और तकनीकी टूल्स जैसे फिबोनाची रिट्रेसमेंट की मदद से पहचाना जा सकता है।
क्या रेजिस्टेंस का टूटना अच्छा संकेत है?
अगर रेजिस्टेंस टूट जाता है, तो यह शेयर के लिए एक पॉजिटिव सिग्नल हो सकता है, क्योंकि कीमत और ऊपर जा सकती है।
क्या हर शेयर में रेजिस्टेंस होता है?
हाँ, हर शेयर में रेजिस्टेंस और सपोर्ट लेवल होते हैं। यह शेयर की डिमांड और सप्लाई पर निर्भर करता है।