डायरेक्शनल ट्रेडिंग जैसा की नाम से ही पता लगता है, की इस ट्रेडिंग में हमे शेयर प्राइस की दिशा का अंदाजा लगाना होता है, यह ऐसी ट्रेडिंग है, जिसमें हम किसी शेयर की कीमत के बढ़ेने व घटेने आ अंदाजा लगाकर उसी आधार पर ट्रेड - ( खरीद या बिक्री ) करते हैं, तो आज की इस छोटी सी ब्लॉग पोस्ट में, हम आपको बहुत ही आसान भाषा में डायरेक्शनल ट्रेडिंग क्या है ? directional trading meaning in hindi में बताने वाले हैं, ताकि आप इसे आसानी से समझकर ट्रेडिंग के दौरान इसका इस्तेमाल कर सकें।
तो चलिए जानते हैं - directional trading kya hai
डायरेक्शनल ट्रेडिंग क्या है ? | directional trading meaning in hindi
Directional trading एक ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी है, जिसमें ट्रेडर शेयर की कीमत की दिशा का अनुमान लगाने की प्रयास करता है, ट्रेडर अनुमान लगता है कि किसी शेयर की कीमत किस दिशा में जाएगी। इस तरह की ट्रेडिंग का मुख्य उद्देश्य मार्केट की दिशा का सही अनुमान लगाकर ट्रेड करना और प्रॉफिट कमाना होता है। इस Directional trading के कुछ मुख्य प्रकार हैं, जो यहाँ नीचे बताये गए हैं |
1. लॉन्ग और शॉर्ट पोजीशन (Long Position):
जब किसी ट्रेडर को ट्रेडिंग के यह विश्वास होता है, कि शेयर की कीमत की दिशा बढ़ने की तरफ है, तो ट्रेडर उस शेयर को खरीदता है, और इसे "लॉन्ग" कहा जाता है। इसके अलावा जब ट्रेडर को लगता है, कि किसी शेयर की कीमत नीचे जाने वाली है, तो वह इसे बेचता है और बाद में कम कीमत पर खरीद लेता है। और इसे "शॉर्ट" जाना कहा जाता है।
पढ़ें - फॉरेक्स ट्रेडिंग क्या होता है, कैसे सीखें और कैसे शुरू करें ? 2. मार्केट ट्रेंड का विश्लेषण (Analyzing Market Trends)
इस trading में सफलता पाने के लिए ट्रेडर को मार्केट के रुझानों का एनालिसिस करना होता है। इसके लिए टेक्निकल Analysis और Fundamental Analysis या इन दोनों को सझकर उसका प्रयोग किया जाता है।
3. समाचार और इवेंट्स (News and Events):
इसके साथ ही ट्रेडर मार्किट से जुड़े आर्थिक समाचार, कंपनी की रिपोर्ट, और अन्य चीज़ों को जानकर इवेंट्स भी दिशा तय करते हैं।
Directional trading कैसे करते हैं
डिरेक्शनल ट्रेडिंग करने के लिए कुछ जरूरी बातो का ध्यान रखना होता है जो यहाँ नीचे बताई गई है |
1. बाजार का अध्ययन करें:
बाजार का अध्यन करें और मार्केट की दिशा का अनुमान लगाएं इसके लिए आपको (चार्ट्स, इंडिकेटर्स) और फंडामेंटल एनालिसिस करना होता है, इसके अलावा आप आर्थिक समाचार, कंपनी की वित्तीय स्थिति आदि को देख कर भी अनुमान लगा सकते हैं |
2. ट्रेडिंग प्लान बनाएं:
अपने लक्ष्य और रिस्क लेने की क्षमता को जाने और एक अच्छा ट्रेडिंग प्लान बनाएं। जहाँ आपको एंट्री, एग्जिट पॉइंट्स, स्टॉप-लॉस और टारगेट प्राइस शामिल करना है |
3. लॉन्ग या शॉर्ट पोजीशन लें:
लॉन्ग पोजीशन: यदि आपको लगता है कि कीमत बढ़ेगी, तो उस वित्तीय साधन को खरीदें।
शॉर्ट पोजीशन: यदि आपको लगता है कि कीमत घटेगी, तो उस वित्तीय साधन को उधार लेकर बेचें और बाद में कम कीमत पर खरीदें।
4. जोखिम प्रबंधन:
आपको ट्रेडिंग के दौरान रिस्क मैनेज करने के लिए स्टॉप-लॉस ऑर्डर सेट करना चाहिये, ताकि यदि कीमत आपके खिलाफ जाए, तो आपको उतना ही नुकसान हो जितना आप ले सकते हैं, इसके साथ ही रिस्क मैनेज करने के लिए आपको अपने पोर्टफोलियो में डायवर्सिफिकेशन करना चाहिएत्म, दें ताकि एक ही साधन पर ज्यादा निर्भरता न हो।
5. बाजार की निगरानी करें:
एक ट्रेडर के रूप में आपको अपने ट्रेड्स पर समय समय पर नजर रखनी और बाजार के रुझान और समाचारों को सुन्ना चाहिए ।
6. मूल्यांकन और सुधार:
अपने ट्रेड्स का नियमित रूप से मूल्यांकन करें। की क्या आपने सही निर्णय लिए? क्या कोई गलतियाँ हुईं? सीखें और अपनी स्ट्रेटेजी को सुधारें।
यदि आप डायरेक्शनल ट्रेडिंग में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको अनुशासन, धैर्य और लगातार अध्ययन करने की जरूरत होती है। सही दिशा का अनुमान लगाकर ऊपर बताये गए स्टेप्स को फोल्लो करके, आप इस ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी से अच्छा पैसा कमा सकते हैं।
आज हमने जाना -
आज के ब्लॉग में डायरेक्शनल ट्रेडिंग क्या है ? | directional trading meaning in hindi के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी हासिल की तथा अन्य बातेँ भी हमने सीखी।
आशा करता हूँ आपको हमारे द्वारा दी गई ये जानकारी बहुत काम आय। हमारे द्वारा दी गई इस जानकारी को पढ़ने के लिए अपना कीमती समय देने के लिए बहुत - बहुत धन्यवाद 🙏😊
यदि आपको डायरेक्शनल ट्रेडिंग से जुडी किसी भी तरह की जानकारी चाहिए तो आप comment करके जरूर बताएं। हम जल्द ही आपके लिए जानकारी लाने की कोशिस करेंगे।
धन्यवाद