Share Market Up Down Kaise Hota Hai - शेयर मार्केट एक ऐसी जगह है जहाँ कंपनियों के हिस्से यानी शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं। जब हम कहते हैं कि शेयर मार्केट ऊपर-नीचे होता है, तो इसका मतलब है कि शेयर की कीमतों में उतार-चढ़ाव हो रहा है। शेयर मार्केट का ऊपर-नीचे होना कई कारणों से होता है। यह सामान्य और प्राकृतिक प्रक्रिया है, और इसके पीछे कई आर्थिक और राजनीतिक कारण होते हैं।
उदाहरण के लिए, जब कंपनियों का मुनाफा बढ़ता है या नई योजनाएँ आती हैं, तो शेयर मार्केट ऊपर जाता है। इसके विपरीत, अगर कंपनियाँ नुकसान में होती हैं या कोई बुरी खबर आती है, तो शेयर मार्केट नीचे जाता है। इस लेख में हम समझेंगे कि शेयर मार्केट ऊपर-नीचे क्यों होता है और इसके पीछे कौन-कौन से कारण हो सकते हैं।
तो चलिए जानते हैं - शेयर बाजार ऊपर नीचे क्यों होता है |
शेयर मार्केट ऊपर-नीचे क्यों होता है?

1. आर्थिक स्थितियां और उनका असर
शेयर मार्केट का उतार-चढ़ाव मुख्य रूप से देश की आर्थिक स्थिति पर निर्भर करता है। जब देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होती है, तो कंपनियों के मुनाफे में भी बढ़ोतरी होती है, जिससे उनके शेयर की कीमतें बढ़ती हैं।
इसके अलावा, अगर सरकार अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए किसी नई योजना या नीति की घोषणा करती है, तो इससे भी शेयर मार्केट में उछाल आ सकता है।
वहीं, अगर देश की आर्थिक स्थिति कमजोर हो, बेरोजगारी बढ़े, या महंगाई में इजाफा हो, तो शेयर मार्केट में गिरावट आ सकती है। अर्थव्यवस्था का प्रभाव शेयर मार्केट के व्यवहार पर सीधा असर डालता है, और इसके कारण शेयर की कीमतें ऊपर-नीचे होती रहती हैं।
2. कंपनी के प्रदर्शन का असर
शेयर मार्केट में कंपनियों के प्रदर्शन का सीधा असर उनके शेयर की कीमतों पर पड़ता है। अगर किसी कंपनी का प्रदर्शन अच्छा होता है, तो उसके मुनाफे में बढ़ोतरी होती है, और इससे निवेशकों का विश्वास बढ़ता है। इस स्थिति में कंपनी के शेयर की कीमत बढ़ सकती है।
वहीं, अगर कंपनी का प्रदर्शन खराब हो, मुनाफा घटे, या उसके ऊपर कोई नकारात्मक खबर आती है, तो इसके कारण शेयर की कीमत में गिरावट हो सकती है।
उदाहरण के लिए, अगर किसी कंपनी के प्रोडक्ट्स की बिक्री कम हो जाती है या कोई बड़ी वित्तीय धोखाधड़ी का मामला सामने आता है, तो इसका असर सीधे शेयर मार्केट पर होता है। कंपनी के बारे में सकारात्मक और नकारात्मक खबरों का असर शेयर मार्केट पर पड़ता है।
3. राजनीतिक और सरकार के निर्णय
शेयर मार्केट में उतार-चढ़ाव राजनीतिक घटनाओं और सरकार के निर्णयों से भी प्रभावित होता है। उदाहरण के लिए, अगर चुनाव के परिणाम अनिश्चित होते हैं या सरकार के निर्णय से व्यापारिक माहौल में बदलाव आता है, तो इससे शेयर मार्केट पर असर पड़ सकता है।
अगर सरकार ने किसी उद्योग या क्षेत्र में कुछ नई पॉलिसी बनाई, जैसे टैक्स बढ़ाना या कम करना, तो इसका असर उस क्षेत्र की कंपनियों के शेयर पर होता है।
इसी तरह, राजनीतिक अस्थिरता या सरकार द्वारा किसी उद्योग को बंद करने की घोषणा करने से भी शेयर मार्केट पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। निवेशक राजनीतिक घटनाओं को ध्यान में रखते हुए अपने निवेश का निर्णय लेते हैं, और इसका असर शेयर मार्केट की कीमतों पर दिखाई देता है।
4. वैश्विक घटनाएँ और उनका प्रभाव
शेयर मार्केट केवल एक देश तक सीमित नहीं होता, बल्कि यह वैश्विक घटनाओं से भी प्रभावित होता है। जैसे, अगर दुनिया के किसी बड़े देश की अर्थव्यवस्था में गिरावट आती है या वहां कोई संकट पैदा होता है, तो इसका असर अन्य देशों के शेयर बाजारों पर भी पड़ सकता है।
उदाहरण के लिए, अगर अमेरिका में आर्थिक मंदी आती है, तो इसका असर भारत के शेयर बाजार पर भी हो सकता है।
इसी तरह, प्राकृतिक आपदाएं, युद्ध, या किसी अन्य वैश्विक संकट के कारण भी शेयर मार्केट में उतार-चढ़ाव हो सकता है। निवेशक वैश्विक घटनाओं पर भी ध्यान देते हैं, और इन घटनाओं के कारण शेयर की कीमतों में बदलाव हो सकता है।
5. बाजार में सप्लाई और डिमांड
शेयर मार्केट में शेयरों की कीमतों का निर्धारण सप्लाई और डिमांड के सिद्धांत पर होता है। अगर किसी कंपनी के शेयर के लिए मांग ज्यादा है, तो उसकी कीमत बढ़ जाती है। वहीं, अगर शेयर की डिमांड कम हो, तो उसकी कीमत घट सकती है।
उदाहरण के लिए, जब किसी कंपनी के अच्छे परिणाम आते हैं और अधिक लोग उस कंपनी में निवेश करने के लिए शेयर खरीदते हैं, तो उसकी कीमत बढ़ जाती है। वहीं, अगर किसी कंपनी के बारे में नकारात्मक खबरें आती हैं और निवेशक शेयर बेचने लगते हैं, तो कीमत घट सकती है।
इस तरह, सप्लाई और डिमांड के आधार पर शेयर मार्केट की कीमतें ऊपर-नीचे होती हैं।
6. निवेशकों का मानसिकता और भावनाएँ
शेयर मार्केट में उतार-चढ़ाव कभी-कभी निवेशकों की मानसिकता और भावनाओं के कारण भी होते हैं। शेयर बाजार में कई बार ऐसे वक्त आते हैं, जब निवेशक अधिक जोखिम उठाने से डरते हैं और अधिक लाभ की उम्मीद में निवेश करते हैं।
कभी-कभी निवेशक अफवाहों और गलत खबरों पर भी विश्वास कर लेते हैं, जिससे शेयर मार्केट में उथल-पुथल हो सकती है। अगर निवेशक डर के कारण अपने शेयर बेचते हैं, तो यह शेयर की कीमतों को गिरा सकता है।
इसी तरह, अगर निवेशक किसी खास कंपनी के बारे में अधिक आशावादी होते हैं, तो इससे उस कंपनी के शेयर की कीमत बढ़ सकती है। इस प्रकार, शेयर बाजार की भावनाएँ और निवेशकों का व्यवहार महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
7. ब्याज दरों का प्रभाव
ब्याज दरें भी शेयर मार्केट के उतार-चढ़ाव पर प्रभाव डालती हैं। जब केंद्रीय बैंक या सरकार ब्याज दरें बढ़ाती है, तो इसका मतलब है कि उधारी पर अधिक खर्च आएगा।
इससे कंपनियों की लागत बढ़ सकती है और उनका मुनाफा घट सकता है, जिसके कारण उनके शेयर की कीमतों में गिरावट हो सकती है। इसके विपरीत, अगर ब्याज दरें घटाई जाती हैं, तो कंपनियों को उधारी सस्ती मिलती है, जिससे उनका मुनाफा बढ़ सकता है और शेयर की कीमतें बढ़ सकती हैं।
इस प्रकार, ब्याज दरों में बदलाव से शेयर मार्केट पर असर पड़ता है, और इसके कारण बाजार ऊपर-नीचे होता है।
8. तकनीकी विश्लेषण और ट्रेडिंग
कई निवेशक शेयर मार्केट में तकनीकी विश्लेषण का उपयोग करते हैं। इसमें शेयर की कीमतों का अध्ययन करके भविष्य में होने वाले उतार-चढ़ाव का अनुमान लगाया जाता है। जब निवेशक तकनीकी संकेतकों को देखकर खरीदारी या बिक्री का निर्णय लेते हैं, तो इसका असर शेयर की कीमतों पर पड़ता है।
उदाहरण के लिए, अगर कोई संकेतक यह दर्शाता है कि किसी शेयर की कीमत गिरने वाली है, तो अधिक लोग उस शेयर को बेच सकते हैं, जिससे उसकी कीमत घट सकती है।
इसके विपरीत, अगर किसी शेयर की कीमत बढ़ने के संकेत मिलते हैं, तो लोग उसे खरीदने लग सकते हैं, जिससे कीमत बढ़ सकती है। तकनीकी विश्लेषण से बाजार में तेजी और मंदी के रुझान बनते हैं, जिससे शेयर मार्केट ऊपर-नीचे होता है।
9. प्राकृतिक आपदाएँ और महामारी
प्राकृतिक आपदाएँ जैसे बाढ़, भूकंप, और महामारी जैसे कोरोना वायरस जैसे संकट भी शेयर मार्केट के उतार-चढ़ाव का कारण बन सकते हैं। जब ऐसी आपदाएँ आती हैं, तो यह अर्थव्यवस्था पर बड़ा दबाव डालती हैं, और कंपनियाँ प्रभावित हो सकती हैं।
इस कारण निवेशक डर सकते हैं और अपने शेयर बेचने लगते हैं, जिससे शेयर की कीमतों में गिरावट हो सकती है। वहीं, जब ऐसी आपदाओं के बाद सुधार होता है और परिस्थितियाँ सामान्य होती हैं, तो शेयर बाजार फिर से सुधार सकता है। महामारी के दौरान, जैसे कोरोना के समय में, शेयर बाजार में बहुत बड़ा उतार-चढ़ाव देखा गया था।
10. निवेशकों के विचार और विश्लेषण
शेयर मार्केट के उतार-चढ़ाव का एक महत्वपूर्ण कारण निवेशकों के विचार और विश्लेषण होता है। हर निवेशक अपनी सोच के आधार पर शेयर बाजार में निवेश करता है।
जब अधिक लोग किसी कंपनी को अच्छा मानते हैं और उसके शेयर खरीदने लगते हैं, तो उस कंपनी के शेयर की कीमत बढ़ जाती है।
वहीं, अगर अधिक निवेशक किसी कंपनी के भविष्य को लेकर नकारात्मक होते हैं, तो वे अपने शेयर बेचने लगते हैं, और कीमत गिर सकती है। इस प्रकार, निवेशकों की सोच और विश्लेषण भी शेयर बाजार की कीमतों पर प्रभाव डालती है।
निष्कर्ष
शेयर मार्केट का ऊपर-नीचे होना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है और इसके कई कारण होते हैं। यह किसी एक कारण से नहीं बल्कि कई अलग-अलग कारणों से होता है। इसमें आर्थिक स्थितियाँ, कंपनी का प्रदर्शन, राजनीतिक निर्णय, वैश्विक घटनाएँ, और निवेशकों के विचार शामिल हैं। शेयर मार्केट का उतार-चढ़ाव निवेशकों को सही समय पर निर्णय लेने के लिए सतर्क करता है और यह इस बात को दर्शाता है कि बाजार में लगातार बदलाव हो रहे हैं।