Option Chain Kaise Samjhe, 8 तरीके

Option Chain Kaise Samjhe, 8 तरीके

ऑप्शन चैन को समझने के तरीके - एक आसान मार्गदर्शिका - ऑप्शन चैन (Option Chain) एक महत्वपूर्ण टूल है जो ऑप्शन्स ट्रेडिंग के दौरान इस्तेमाल किया जाता है। अगर आप भी शेयर बाजार में निवेश करने का सोच रहे हैं, तो ऑप्शन चैन को समझना बहुत जरूरी है। 

इस ब्लॉग में हम आपको ऑप्शन चैन के बारे में आसान हिंदी में विस्तार से समझाएंगे। यहां हम ऑप्शन चैन के बारे में हर छोटी-बड़ी जानकारी देंगे, जिससे आप इसे आसानी से समझ सकें और अपने ट्रेडिंग निर्णयों को बेहतर बना सकें।

तो चलिए जानते हैं - ऑप्शन चैन को कैसे समझें 

Option Chain Kaise Samjhe

Option Chain Kaise Samjhe, 8 तरीके  
ऑप्शन चैन को समझने के यहाँ कुछ आसान तरीके बताये गए हैं | 

1. गुणवत्ता वाले डेटा स्रोत का चयन करें

ऑप्शन चैन का सही तरीके से उपयोग करने के लिए यह बहुत जरूरी है कि आप डेटा के गुणवत्ता वाले स्रोत का चयन करें। अगर आपके पास सही और सटीक जानकारी नहीं है, तो आप सही निर्णय नहीं ले पाएंगे। इसलिए, ऑप्शन चैन को पढ़ने और समझने के लिए विश्वसनीय डेटा प्रोवाइडर्स और प्लेटफार्म का उपयोग करें।

आजकल कई वित्तीय वेबसाइट्स, एप्स और ट्रेडिंग प्लेटफार्म हैं जो ऑप्शन चैन का डेटा प्रदान करते हैं। इन स्रोतों से आपको हमेशा ताजे और सटीक आंकड़े मिलते हैं, जो आपकी ट्रेडिंग रणनीतियों को सही दिशा में ले जा सकते हैं।

सिर्फ डेटा का होना ही काफी नहीं होता, बल्कि आपको इसे सही तरीके से समझना और लागू करना भी आना चाहिए। इसलिए, गुणवत्ता वाले डेटा स्रोत पर ध्यान देना बहुत ज़रूरी है। इसका चुनाव करते वक्त सुनिश्चित करें कि वह डेटा सही समय पर और सही रूप में उपलब्ध हो, ताकि आप सही और ताजे आंकड़ों का इस्तेमाल कर सकें।

2. स्ट्राइक प्राइस को समझें

स्ट्राइक प्राइस वह कीमत होती है जिस पर आप ऑप्शन को खरीद या बेच सकते हैं। यह ऑप्शन चैन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हर ऑप्शन के लिए एक निश्चित स्ट्राइक प्राइस होता है, जो उस ऑप्शन को एक्टिवेट करता है।

जैसे मान लीजिए, एक कॉल ऑप्शन का स्ट्राइक प्राइस ₹100 है, तो आप उस ऑप्शन के जरिए ₹100 पर उस स्टॉक को खरीद सकते हैं। इसी तरह, पुट ऑप्शन का स्ट्राइक प्राइस बताता है कि आप उस स्टॉक को कितनी कीमत पर बेच सकते हैं।

स्ट्राइक प्राइस का अध्ययन करते वक्त यह देखना जरूरी है कि कौन से स्ट्राइक प्राइस पर अधिक ओपन इंटरेस्ट (Open Interest) और वॉल्यूम (Volume) है। इससे आपको यह अंदाजा हो सकता है कि ट्रेडर्स कहां पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं और किस दिशा में वे मार्केट को देख रहे हैं।

3. ओपन इंटरेस्ट का महत्व

ओपन इंटरेस्ट ऑप्शन चैन में एक बहुत ही महत्वपूर्ण पैरामीटर है। ओपन इंटरेस्ट उस ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट की कुल संख्या को बताता है, जो अभी तक ट्रेड नहीं हुए हैं। यानी यह उन ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट्स की संख्या होती है, जो अभी तक खुले हुए हैं और जिनका कारोबार नहीं हुआ है।

अगर किसी ऑप्शन का ओपन इंटरेस्ट बढ़ रहा है, तो इसका मतलब है कि उस ऑप्शन में निवेशकों का विश्वास बढ़ रहा है और उस ऑप्शन पर ज्यादा गतिविधि हो रही है। यदि ओपन इंटरेस्ट घट रहा है, तो इसका मतलब हो सकता है कि उस ऑप्शन में ट्रेंड कम हो रहा है।

ऑप्शन चैन का विश्लेषण करते समय ओपन इंटरेस्ट का सही तरीके से आकलन करना जरूरी है, ताकि आप बाजार की दिशा को समझ सकें और बेहतर निर्णय ले सकें।

4. वॉल्यूम का महत्व

वॉल्यूम ऑप्शन चैन का एक और महत्वपूर्ण पैरामीटर है। यह उस ऑप्शन के ट्रांजेक्शन की संख्या को दर्शाता है। यानी वॉल्यूम बताता है कि किसी ऑप्शन के कितने कॉन्ट्रैक्ट्स का कारोबार हुआ है।

ज्यादा वॉल्यूम वाला ऑप्शन ट्रेडिंग में आमतौर पर ज्यादा तरल होता है, जिसका मतलब है कि उसे खरीदने और बेचने में कोई समस्या नहीं होगी। जब वॉल्यूम बढ़ता है, तो इसका मतलब है कि उस ऑप्शन में ट्रेडर्स की रुचि बढ़ रही है और बाजार में उसकी ज्यादा गतिविधि हो रही है।

वॉल्यूम का विश्लेषण करने से आपको यह पता चलता है कि मार्केट में कौन से ऑप्शन ज्यादा पॉपुलर हो रहे हैं और इन ऑप्शन्स में कितना लिक्विडिटी है। इससे आप निर्णय ले सकते हैं कि कौन से ऑप्शन को ट्रेड करना सही रहेगा।

5. इम्प्लाइड वोलैटिलिटी (IV) का अध्ययन करें

इम्प्लाइड वोलैटिलिटी (IV) ऑप्शन चैन में एक और महत्वपूर्ण पैरामीटर है। यह बताता है कि भविष्य में उस ऑप्शन की कीमत कितनी बढ़ सकती है या घट सकती है। यानी IV यह अनुमान देता है कि भविष्य में उस ऑप्शन के मूल्य में कितना उतार-चढ़ाव हो सकता है।

जब इम्प्लाइड वोलैटिलिटी ज्यादा होती है, तो इसका मतलब है कि ऑप्शन की कीमत में ज्यादा उतार-चढ़ाव होने की संभावना है। इस स्थिति में ऑप्शन महंगे हो सकते हैं। वहीं, जब IV कम होती है, तो ऑप्शन की कीमत में उतार-चढ़ाव कम होने की संभावना होती है, और ऑप्शन सस्ते होते हैं।

इसलिए IV का विश्लेषण करना ट्रेडर्स के लिए जरूरी है, ताकि वे जान सकें कि ऑप्शन खरीदने या बेचने का सही समय कब है।

6. बुलिश और बेयरिश ट्रेंड का अनुमान लगाना

ऑप्शन चैन का अध्ययन करते समय यह देखना बहुत जरूरी है कि बाजार में बुलिश (bullish) या बेयरिश (bearish) ट्रेंड है। बुलिश ट्रेंड तब होता है जब लोग स्टॉक के ऊपर जाने की उम्मीद करते हैं और बेयरिश ट्रेंड तब होता है जब लोग स्टॉक के नीचे जाने की उम्मीद करते हैं।

यदि कॉल ऑप्शन्स का ओपन इंटरेस्ट और वॉल्यूम बढ़ रहा है, तो यह संकेत हो सकता है कि मार्केट बुलिश है और स्टॉक की कीमत ऊपर जा सकती है। वहीं, अगर पुट ऑप्शन्स का ओपन इंटरेस्ट और वॉल्यूम बढ़ रहा है, तो इसका मतलब हो सकता है कि मार्केट बेयरिश है और स्टॉक की कीमत नीचे जा सकती है।

इस प्रकार ऑप्शन चैन के इन संकेतों का सही तरीके से विश्लेषण करके आप यह अनुमान लगा सकते हैं कि मार्केट किस दिशा में जा सकता है।

7. स्ट्राइक प्राइस और ऑप्शन चुनने की रणनीति

ऑप्शन चैन का सही उपयोग करने के लिए यह समझना जरूरी है कि कौन से स्ट्राइक प्राइस पर ऑप्शन खरीदना या बेचना सही रहेगा। जब आप ऑप्शन चैन का विश्लेषण करते हैं, तो आपको उन स्ट्राइक प्राइस पर ध्यान देना चाहिए जहां पर ज्यादा ओपन इंटरेस्ट और वॉल्यूम हो। इससे आपको पता चलता है कि ट्रेडर्स कहां ज्यादा विश्वास दिखा रहे हैं।

स्ट्राइक प्राइस का चयन करते समय यह भी ध्यान रखना चाहिए कि स्टॉक की मौजूदा कीमत और स्ट्राइक प्राइस के बीच का अंतर कितना है। अगर स्ट्राइक प्राइस बहुत दूर है, तो उस ऑप्शन को खरीदना महंगा हो सकता है, जबकि अगर वह करीब है तो उसे खरीदने में फायदा हो सकता है।

8. ऑप्शन चैन का नियमित रूप से विश्लेषण करें

ऑप्शन चैन का सही तरीके से विश्लेषण करने के लिए यह जरूरी है कि आप इसे नियमित रूप से देखें। मार्केट के हालात लगातार बदलते रहते हैं, और ऑप्शन चैन में भी समय-समय पर बदलाव होते रहते हैं। इसलिए, ऑप्शन चैन का रोजाना विश्लेषण करने से आप समय रहते अपने ट्रेडिंग निर्णय बदल सकते हैं और ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं।

समझें कि ऑप्शन चैन का विश्लेषण केवल एक बार करना काफी नहीं होता; इसे लगातार ट्रैक करना जरूरी है। जब आप ऑप्शन चैन का निरंतर विश्लेषण करते रहेंगे, तो आप मार्केट की दिशा को समझने में और भी सक्षम हो जाएंगे।

ऑप्शन चैन क्या है?

ऑप्शन चैन एक प्रकार की सूची होती है, जिसमें किसी स्टॉक या इंडेक्स के ऑप्शन से जुड़ी सारी जानकारी दी जाती है। इसमें कॉल ऑप्शन्स (Call Options) और पुट ऑप्शन्स (Put Options) के बारे में डिटेल्स होते हैं, जैसे कि स्ट्राइक प्राइस, ओपन इंटरेस्ट, वॉल्यूम, इम्प्लाइड वोलैटिलिटी (IV), और अन्य जरूरी पैरामीटर। ऑप्शन चैन की मदद से हम ये जान सकते हैं कि मार्केट का मूवमेंट किस दिशा में हो सकता है, यानी स्टॉक की कीमत ऊपर जा सकती है या नीचे।

ऑप्शन चैन का महत्व इस बात से है कि यह आपको निवेशकों का दृष्टिकोण और मार्केट के मूवमेंट का पूर्वानुमान लगाने में मदद करता है। यदि किसी ऑप्शन में अधिक ओपन इंटरेस्ट है, तो इसका मतलब यह हो सकता है कि उस ऑप्शन की ओर ज्यादा ट्रेंड हो रहा है।

ऑप्शन चैन में कौन-कौन सी जानकारियां होती हैं?

ऑप्शन चैन में कई प्रकार की जानकारियां होती हैं, जो ट्रेडर्स को अपने निर्णय लेने में मदद करती हैं। इनमें से कुछ प्रमुख जानकारियां निम्नलिखित हैं:

  • स्ट्राइक प्राइस (Strike Price): यह वह कीमत होती है जिस पर आप ऑप्शन को खरीद या बेच सकते हैं। इसमें हर ऑप्शन के लिए अलग-अलग स्ट्राइक प्राइस होते हैं।
  • ओपन इंटरेस्ट (Open Interest): यह उस ऑप्शन का कुल ओपन कॉन्ट्रैक्ट होता है। यदि किसी ऑप्शन का ओपन इंटरेस्ट बढ़ रहा है, तो इसका मतलब है कि उस ऑप्शन पर ज्यादा ट्रांजेक्शन हो रहे हैं, और यह संकेत देता है कि मार्केट में उतार-चढ़ाव हो सकता है।
  • वॉल्यूम (Volume): वॉल्यूम यह बताता है कि किसी ऑप्शन में कितने कॉन्ट्रैक्ट्स का व्यापार हुआ है। ज्यादा वॉल्यूम वाले ऑप्शन को ट्रेड करना आम तौर पर सुरक्षित माना जाता है।
  • इम्प्लाइड वोलैटिलिटी (Implied Volatility): यह एक अनुमान होता है कि भविष्य में किसी ऑप्शन की कीमत कितनी बदल सकती है। ज्यादा इम्प्लाइड वोलैटिलिटी का मतलब है कि उस ऑप्शन की कीमत में ज्यादा उतार-चढ़ाव हो सकता है।

ऑप्शन चैन का अध्ययन क्यों करें?

ऑप्शन चैन का अध्ययन करने से आप मार्केट के बारे में बेहतर तरीके से निर्णय ले सकते हैं। जब आप ऑप्शन चैन को समझते हैं, तो आपको यह पता चलता है कि बाजार में क्या चल रहा है और किस दिशा में ट्रेंड हो सकता है। 

उदाहरण के लिए:

  • अगर कॉल ऑप्शन्स का ओपन इंटरेस्ट बढ़ रहा है, तो यह संकेत हो सकता है कि निवेशक स्टॉक के ऊपर जाने की उम्मीद कर रहे हैं (बुलिश ट्रेंड)।
  • अगर पुट ऑप्शन्स का ओपन इंटरेस्ट बढ़ रहा है, तो इसका मतलब हो सकता है कि निवेशक स्टॉक के नीचे जाने की संभावना देख रहे हैं (बेयरिश ट्रेंड)।

इस प्रकार, ऑप्शन चैन का अध्ययन आपको आने वाली मार्केट मूवमेंट्स के बारे में संकेत देता है, जिससे आप ज्यादा स्मार्ट और जानकारीपूर्ण ट्रेडिंग निर्णय ले सकते हैं।

कॉल ऑप्शन्स और पुट ऑप्शन्स का अंतर समझें

ऑप्शन चैन में कॉल ऑप्शन्स और पुट ऑप्शन्स दोनों होते हैं, और इन दोनों का अलग-अलग महत्व होता है।

1. कॉल ऑप्शन (Call Option): 

यह ऑप्शन आपको एक निश्चित कीमत (स्ट्राइक प्राइस) पर किसी स्टॉक को खरीदने का अधिकार देता है। कॉल ऑप्शन का इस्तेमाल तब किया जाता है जब निवेशक को लगता है कि स्टॉक की कीमत भविष्य में बढ़ेगी।

2. पुट ऑप्शन (Put Option):

पुट ऑप्शन आपको किसी स्टॉक को एक निश्चित कीमत पर बेचने का अधिकार देता है। पुट ऑप्शन का इस्तेमाल तब किया जाता है जब निवेशक को लगता है कि स्टॉक की कीमत घटेगी।

ऑप्शन चैन में इन दोनों ऑप्शन्स का ओपन इंटरेस्ट, वॉल्यूम और इम्प्लाइड वोलैटिलिटी को देखकर आप अनुमान लगा सकते हैं कि मार्केट किस दिशा में जा सकता है।

ऑप्शन चैन का विश्लेषण कैसे करें?

ऑप्शन चैन का विश्लेषण करने के लिए आपको कुछ प्रमुख बिंदुओं पर ध्यान देना चाहिए:

  • स्ट्राइक प्राइस का चयन: सबसे पहले, आपको उस स्टॉक के लिए स्ट्राइक प्राइस का चयन करना होगा, जिस पर आप ट्रेड करना चाहते हैं। यह सुनिश्चित करता है कि आप सही कीमत पर ऑप्शन खरीद रहे हैं।
  • ओपन इंटरेस्ट और वॉल्यूम का विश्लेषण: ओपन इंटरेस्ट और वॉल्यूम की मदद से आप यह जान सकते हैं कि मार्केट में क्या चल रहा है। यदि ओपन इंटरेस्ट बढ़ रहा है और वॉल्यूम भी अच्छा है, तो इसका मतलब हो सकता है कि ऑप्शन में ज्यादा ट्रेड हो रहे हैं, और यह संकेत हो सकता है कि बाजार में उतार-चढ़ाव आ सकता है।
  • इम्प्लाइड वोलैटिलिटी की जाँच करें: इम्प्लाइड वोलैटिलिटी के बढ़ने का मतलब है कि ऑप्शन की कीमत में ज्यादा उतार-चढ़ाव हो सकता है। अगर आप रिस्क से बचना चाहते हैं, तो आपको कम इम्प्लाइड वोलैटिलिटी वाले ऑप्शन्स पर ध्यान देना चाहिए।

ऑप्शन चैन के संकेतों से ट्रेडिंग निर्णय कैसे लें?

ऑप्शन चैन के संकेतों से आप कई प्रकार के ट्रेडिंग निर्णय ले सकते हैं:

  • अगर कॉल ऑप्शन्स का ओपन इंटरेस्ट बढ़ रहा है, तो आप सोच सकते हैं कि बाजार bullish हो सकता है।
  • अगर पुट ऑप्शन्स का ओपन इंटरेस्ट बढ़ रहा है, तो यह संकेत दे सकता है कि बाजार bearish हो सकता है।
  • अगर इम्प्लाइड वोलैटिलिटी बहुत अधिक है, तो आप समझ सकते हैं कि बाजार में उतार-चढ़ाव ज्यादा हो सकता है।

इन संकेतों का सही उपयोग करके आप अपनी ट्रेडिंग स्ट्रैटेजी बना सकते हैं। ऑप्शन चैन का सही विश्लेषण करने से आप ज्यादा लाभ कमा सकते हैं।

ऑप्शन चैन के लाभ और नुकसान

ऑप्शन चैन के फायदे और नुकसान दोनों होते हैं।

  • लाभ: ऑप्शन चैन की मदद से आप बाजार की दिशा और ट्रेंड का पूर्वानुमान लगा सकते हैं। इसके अलावा, ऑप्शन चैन के विश्लेषण से आप सही समय पर सही ऑप्शन खरीद सकते हैं और ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं।
  • नुकसान: ऑप्शन चैन का विश्लेषण कठिन हो सकता है यदि आप इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं रखते। अगर आप ऑप्शन चैन को ठीक से समझ नहीं पाते, तो इससे आपके नुकसान होने की संभावना भी बढ़ सकती है।

निष्कर्ष

ऑप्शन चैन को समझना और इसका सही उपयोग करना किसी भी ट्रेडर के लिए महत्वपूर्ण है। अगर आप ऑप्शन चैन का सही तरीके से विश्लेषण करते हैं, तो आप मार्केट की दिशा का अनुमान लगा सकते हैं और अपनी ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी को बेहतर बना सकते हैं। ऑप्शन चैन के जरिए आप ज्यादा सूचित और बेहतर निर्णय ले सकते हैं, जिससे आपका निवेश सुरक्षित और लाभकारी हो सकता है।

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I am Pranshu Soni, I am a blogger and I give information about Investment, Trading, Share Market Concept, Share Price Target, And Best Share to people in my blog.

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