यदि आप भी ट्रेडिंग शुरू करना चाहते हैं, तो आपको ट्रेडिंग साइकोलॉजी के बारे में जरूर जानना चाहिए | इसे अच्छे से जानने के लिए आज की इस ब्लॉग पोस्ट को अंत तक पढ़ें |
तो चलिए जानते हैं - Trading Psychology in Hindi
ट्रेडिंग साइकोलॉजी क्या है? Trading Psychology in Hindi

हर ट्रेडर की साइकोलॉजी अलग - अलग होती है, जो उस ट्रेडर के इमोशंस, behaviour और ट्रेडिंग को लेकर उसके माइंडसेट को बताती है, एक ट्रेडर को ट्रेडिंग के दौरान सही निर्णय लेने में ट्रेडिंग साइकोलॉजी सबसे ज्यादा मदद करती है, इसमें ट्रेडर के कुछ सबसे जरूरी गुण शामिल होते हैं, जैसे - लालच, डर, अनुशासन, धैर्य और कॉन्फिडेंस ये सभी फैक्टर ट्रेडिंग के दौरान आपकी परफॉर्मेंस में बड़ा प्रभाव साल सकते हैं। और इसी वजह से आपको अपने अंदर सही Trading psychology को विकसित करना बहुत जरूरी है, ताकि आप इसमें बड़ी सफलता प्राप्त कर सकें।
Trading Psychology कैसे ठीक व विकसित कैसे करें?
यदि आप ट्रेडिंग साइकोलॉजी विकसित करना चाहते हैं, तो आपको कुछ तरीकों को आज से ही फॉलो करना शुरू कर देना चाहिए |
1. ट्रेडिंग प्लान बनाएं:
अपनी ट्रेडिंग साइकोलॉजी ठीक व विकसित करने के लिए आपको अच्छा ट्रेडिंग प्लान बनाना सीखना चाहिए, जिस प्लान में आपको तय करना है, की आपको एक दिन में कितने ट्रेड करने हैं, आप कितना लॉस ले सकते हैं, आपका टारगेट प्राइस क्या रहेगा. और आप कौन सी स्ट्रॅटजी का यूज करके ट्रेड करने वाले हैं | और सबसे जरूरी आपको Risk मैनेजमेंट करना सीखना होगा । पढ़ें - निवेश और ट्रेडिंग में क्या अंतर है?
2. स्टॉप लॉस सेट करें
स्टॉपलॉस जो की ट्रेडिंग करते समय सबसे जरूरी है, क्यूंकि यही है, जो लॉस को कम करने में मदद करेगा, शेयर बाजार में बहुत से लोग ऐसे हैं, जो ज्यादा प्रॉफिट कमाने के चक्कर में स्टॉप लॉस नहीं लगाते या इसे जरूरी नहीं समझते लेकिन कोई भी बड़ा ट्रेडर्स कभी भी बिना Stop loss के ट्रेडिंग नहीं करता। क्योंकि यदि आप अपने लॉस को मैनेज करना सीख जाते हैं, तो आपका प्रॉफिट अपने आप बढने लगता है, और धीरे धीरे आप एक प्रॉफिटेबल ट्रेडर भी बन सकते हैं । पढ़ें - 10+ ट्रेडिंग में नुकसान से बचने की सबसे अच्छी और आसान टिप्स | Best Trading Tips in Hindi
3. रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो
एक बड़ा और प्रॉफिटेबल ट्रेडर बनने के लिए आपको रिस्क रिवॉर्ड सेट करना सीखना होगा, जैसे - यदि आप दो ट्रेड लेते हैं, और आपको उसमें से एक में loss होता हैं, तो आपका रिस्क रिवॉर्ड रेशों 1:2 है, और यदि आप दिन में 4 ट्रेड लेते हैं, और उनमें से एक ट्रेड में loss होता हैं, तो इसका मतलब आपका रिस्क रिवॉर्ड रेशों 1:4 है, अब मैं बता दूँ की रिस्क यानी आप जितना लॉस ले रहे हैं, और रिवार्ड आपको जितना फायदा हो रहा है, आपको अपना रिस्क रिवॉर्ड रेसो हमेसा कम ही रखना चाहिए, ताकि आपको लॉस कम हो | पढ़ें - ट्रेडिंग करने से पहले क्या करना चाहिए? | ट्रेडिंग करने से पहले क्या देखना चाहिए?
मेरे कहने का सीधा मतलब यह है, कि यदि आप 10 बार ट्रेड करते हैं, और आपको 7 बार प्रॉफिट हो रहा है, तो इसका मतलब आपकी साइकोलॉजी बहुत अच्छी है, और ऐसे में आप खुद को एक सफल ट्रेडर कह सकते हैं।
4. मेडिटेशन
ट्रेडिंग साइकोलॉजी को विकसित करने में मेडिटेशन आपकी बहुत सहायता कर सकता है, और अभी तक जितने प्रोफेशनल ट्रेडर बने हैं, वो भी कही न कहि मैडिटेशन को अपने जीवन में जोड़े हुए हैं, मैडिटेशन आपके दिमाग शांत रखने और ट्रेडिंग के दौरान impulsive निणय लेने में मदद करता हैं, और अपने इमोशंस पर भी कंट्रोल करने में आपको मदद मिलती है। पढ़ें - डे ट्रेडिंग में पैसा लगाने से पहले क्या करना चाहिए? (10 महत्वपूर्ण टिप्स)
5. ट्रेडिंग साइकोलॉजी से जुडी बुक्स पढ़ें -
ट्रेडिंग साइकोलॉजी विकसित करने के लिए, आप बुक्स की मदद ले सकते हैं, ट्रेडिंग साइकोलॉजी से जुडी मार्किट में बहुत सारी बुक्स हैं, जो आपको अपनी ट्रेडिंग साइकोलॉजी सही और इसे इम्प्रूव करने में बहुत मदद कर सकती हैं |
ट्रेडिंग साइकोलॉजी गड़बड़ होने से क्या होता है?
Impulsive Trading:
यदि आपकी ट्रेडिंग साइकोलॉजी सही नहीं होती तो आपको सही निर्णय लेने में बहुत दिक्क्त हो सकती है, ऐसे में आप बिना सोचे समझे ट्रेड लेने लगते हैं, क्यूंकि यहाँ आपके इमोशंस आपपर हावी होते हैं. और इस वजह से आप अपने बनाये हुए ट्रेडिंग प्लान को फॉलो न करके केवल इमोशनल ट्रेड लेते हैं, जिससे आपको नुकसान होते हैं।
Overtrading:
ट्रेडिंग साइकोलॉजी सही ना होने से आप लालच के चक्कर में ओवरट्रेडिंग करने लगते हैं, क्यूंकि जब आपकी ट्रेडिंग साइकोलॉजी सही नहीं होती तो आप अपनी रिस्क लेने की क्षमता से ज्यादा पैसों से ट्रेड करते हैं, जिससे कुछ ही समय में आपके कैपिटल में बड़ी गिरावट देखने को मिलती है, जिससे आपका अकाउंट खाली हो सकता है, और आप ट्रेडिंग करने से डरने लगते हैं।
डर या लालच -
ट्रेडिंग साइकोलॉजी सही ना होने से आप हमेसा डर (fear) और लालच (greed) में फसे रहते हैं, जिससे बहुत बार आप लॉस पर शेयर को बेच देते हैं, और बाद में वो शेयर तेजी से ऊपर चला जाता है, और इसी प्रकार बहुत बार किसी स्टॉक के ऊपर जाने की आशा मे आप कुछ घंटे या बहुत दिनों तक उस शेयर को होल्ड करके रखते हैं , और कुछ समय बाद में आप उस शेयर को बड़े नुकसान पर बेचते हैं?
Discipline की कमी
जब आपकी ट्रेडिंग साइकोलॉजी सही नहीं होती, तो आप अनुसासंन् नहीं रख पाते, जिसकी वजह से आप अपने ही ट्रेडिंग प्लान और स्ट्रेटजी को फॉलो न करके तुक्का से ट्रेड करते हैं, जिससे आपको प्रॉफिट की जगह लॉस हो सकता है ।
इमोशनल स्ट्रेस:
शेयर बाजार में किसी भी शेयर का चार्ट ऊपर नीचे होता रहता है, यदि आपकी ट्रेडिंग साइकोलॉजी सही नहीं होती तो आप जैसे ही चार्ट ऊपर जाता है, तो खुस और जैसे ही नीचे जाता है, तो दुखी हो जाते हैं, जिससे आप एंट्री व एग्जिट के लिए सही निर्णय नहीं ले पाते।
आज हमने क्या सीखा
आज के ब्लॉग में हमने ट्रेडिंग साइकोलॉजी क्या है? Trading Psychology in Hindi के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी हासिल की forex trading क्या है forex trading कैसे काम करती है, इससे पैसे कैसे कमाए तथा अन्य बातेँ भी हमने इस ब्लॉग से सीखी। जो आपको forex tradin करते समय आपकी मदद करेगी ।
आशा करता हूँ आपको हमारे द्वारा दी गई ये जानकारी बहुत काम आय। हमारे इस ब्लॉग को पढ़ने के लिए अपना कीमती समय देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद 🙏😊
यदि आपको ट्रेडिंग साइकोलॉजी से related कोई जानकारी चाहिए तो आप comment करके हमे बता सकते। हम जल्द ही आपके लिए जानकारी लाने की कोशिस करेंगे।
धन्यवाद ( Thank you)