यदि आपके मन में भी यह प्रशन आ रहा है, की शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करना चाहिए या नहीं ? तो इसका सीधा और सरल उत्तर है, की हाँ आपको शेयर मार्किट में इन्वेस्ट करना चाहिए। यदि आप अपने पैसों को इन्वेस्ट करने की सोंच रहे हैं, तो share market एक अच्छी जगह है, जहाँ से आपको अच्छा रिटर्न मिलता है, यदि आप शेयर मॉर्केट में एक बिज़नेस की तरह काम करते हैं, तो यह आपको अच्छा फायदा दे सकता है। ऐसे में लाजमी है की आपको शेयर मार्किट में जरूर इन्वेस्ट करना चाहिए। और प्रॉफ़िट्स बनाने चाहिए।
तो चलिए जानते हैं - share market me invest karna chahiye ya nahin
9 बातों से जाने शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करना चाहिए या नहीं ?

पहले तो आपको यह समझना चाहिए की शेयर मार्केट में हम 2 तरह से invest करते हैं,
- शेयर मार्केट में शेयर में इन्वेस्ट करना जो की डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट कहलाती है।
- म्यूच्यूअल फण्ड में इन्वेस्ट करना जो की एक तरह की इन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट होती है।
आपने यह तो जान लिया की शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करना चाहिये, लेकिन बिना नॉलेज के आप इसमे इन्वेस्ट ना करें। इसके लिए आज के इस ब्लॉग में हम जनेगें की शेयर मार्केट में किसी भी कम्पनी में इन्वेस्ट करने के लिए आपको कौन- कौन सी बातों को ध्यान में रखना चाहिए। जिससे आपको अच्छा मुनाफा हो सके और आपके पैसे का नुकसान ना हो ।
बहुत से लोग समझते हैं, की शेयर मार्केट जुआ है, तो ऐसा बिल्कुल नहीं है। आप इसे प्रेडिक्ट कर सकते हैं, एनालाइज कर सकते हैं, और कुछ फिल्टर होते हैं जिन्हे आप सीखकर मार्केट में आसानी से 22 या 25 या 30 % तक का रिटर्न प्राप्त कर सकते हैं।
1. कम्पनी 11 साल पुरानी होनी चाहिए -
आप जिस कंपनी में इन्वेस्ट करने जा रहे हों, आपको देखना है की वह कम्पनी 11 साल या उससे जादा पुरानी हो। यदि कम्पनी पुरानी होती है, तो आप उसे अच्छी तरह से ट्रैक कर पाते हैं। जिसमे बहुत सारे अप व डाउन ट्रेंड आते हैं। ट्रैक करें और देखें की वह कम्पनी डाउन टर्न में भी सस्टेन कर रही है, मतलब डाउन ट्रेंड (मंदी में) होने पर भी चलती रही है। और अप ट्रेंड में राइड कर जाय यानी ऊपर बढ़ जाय।
जब भी आप कम्पनी चुने, आपको यह बात याद रखनी है। की कम्पनी 11 साल या उससे जादा पुरानी है। किसी भी नई कम्पनी को आप अच्छे से एनालिसिस नहीं कर सकते। कम्पनी ने मंदी के दौर (time) को कैसे झेला है, यह देखना बहुत महत्वपूर्ण है। जितनी पुरानी कंपनी होगी आपके पास उतना ही ट्रैक होगा, जिससे आपको पता चलेगा कंपनी किस तरह आगे बढ़ी है।
जब आप 11 साल या उससे जादा पुरानी कम्पनी की हिस्ट्री को अनालाइज़ कर लेते हैं। तो आपका कॉन्फिडेंस और समझ बढ़ जाती है।
“यदि share market में चाहते हैं positive आश याद रखिये कंपनी का इतिहास”
2. Growth consistancy-
कम्पनी की ग्रोथ में कंसिस्टेंसी होनी चाहिए, यानी कम्पनी लगातार ग्रो होनी चाहिए। आपको देखना है, जो पूरे देश की GDP है, वो जिस रेट में ग्रो कर रही है, उसका लगभग 2 गुना यह कंपनी ग्रो करनी चाहिए।
जैसे-
यदि पूरा देश एक साल में जो सेल कर रहा है। वह 5% बढ़ रहा है, तो वह कम्पनी जिसमे आप इन्वेस्ट कर रहे हैं। वह 10% बढ़नी चाहिए। GDP का मतलब है, जो भी पूरे देश में प्रोडक्ट या सर्विसेज हैं, पूरे देश में जो भी मिला के बिका, जो कुछ भी बेचा गया उसका सबटोटल जो होता है, उसे GDP कहते हैं।
यदि देश 5% grow कर रहा है, तो कंपनी 10% बढ़नी चाहिए।
यदि देश 7% grow कर रहा है तो कंपनी 14% बढ़नी चाहिए।
3. Leadership -
आप जिस कम्पनी में इन्वेस्ट करना चाहते हैं, उस कम्पनी की लीडरशिप अच्छी होनी चाहिए। कोई भी कम्पनी लंबे समय तक टिकेगी या नहीं यह उस कम्पनी की लीडरशिप पर बहुत ज्यादा डिपेंड करता है। आपको देखना चाहिए की कम्पनी की लीडरशिप कौन है। मैनेजमेंट कौन है, और उस कम्पनी को चला कौन रहा है।
Leadership analysis करते समय ये चीजें जरूर देखें।
- आपको लीडर का background चेक करना है, आपको इसमें देखना है, कहीं उस पर कोर्ट का कोई केस तो नहीं है।
- कम्पनी का लीडर इन्वेस्टर के पैसों से खिलवाड तो नहीं कर रहा है।
- उसपर कहीं रेगुलेशन इश्यूज तो नहीं हैं, यानी उसका SEBI या RBI के साथ झगडा तो नहीं चल रहा।
- उस लीडर की मैनेजमेंट क्या है। वह आगे जायेगा या नहीं उसके फ्यूचर प्लान क्या हैं।
- उस कम्पनी का लीडर ईमानदार है या नहीं ।
- इन सभी चीजों को आप इंटरनेट में आसानी से देख सकते हैं।
4. Zero debt-
आपको ऐसी कंपनी ढूढ़नी चाहिए, जिसमे कर्जा कम से कम हो या बिल्कुल भी ना हो। यदि आप ऐसी कम्पनी चुनते हैं जिसमे कर्जा जादा है। तो उस कम्पनी का पैसा व्याज चुकाने में ही चला जाता है। और इन्वेस्टर को कोई प्रॉफिट नहीं होता। ज्यादा कर्ज के कारण बहुत सी कंपनिया बैंक कर्रप्ट हो जाती हैं। और ऐसे में इनवस्टर्स का लगाया हुआ पैसा डूब जाता है। वह कम्पनी जो डेब्ट फ्री होती है। उसका पोर्टफोलियो बहुत मजबूत माना जाता है।
जिस कम्पनी में कर्ज नहीं होता उस कंपनी के इन्वेस्टर्स को अच्छे प्रॉफ़िट्स होते हैं, और जिस कंपनी के ऊपर कर्ज होता है, वह दूसरे को प्रॉफ़िट्स कैसे दे सकती है, इस बात को हमेसा याद रखें, जब भी कम्पनी को एनालिसिस करें तो जितना हो सके ऐसी कम्पनी ढूंढे जिनमे कर्ज कम हो या एक भी ना हो।
जैसे - Tata consultancy एक ऐसी कम्पनी है। जिसपर एक रुपए का भी कर्जा नहीं है।
“Share मार्केट में पैसा लगाते समय इस नियम को जरूर अपनाय अधिक कर्ज में डूबी कम्पनी में कभी पैसा ना लगाएं। ”
5. Promoter (Owner) holding-
आप जिस कम्पनी में पैसा लगा रहे हैं। उसके मालिक का शेयर होल्डिंग उस कम्पनी में कम से कम 51% होना ही चाहिए। (Promoter should have higher stake) | क्यूंकि कम्पनी में प्रमोटर्स की शेयर होल्डिंग जितनी जादा हो उतना ही अच्छा है, क्यूंकि कम्पनी का जो मालिक है, यदि उसके पास अधिक होल्डिंग होती है, तो उसके पास power होती है।
ऐसा नहीं होना चाहिए की कंपनी के मालिक ने अपने सारे शेयर बाजार मे बेच दिये अब उसका कम्पनी में कोई हक ही नहीं रहा। क्योंकि जब का मालिक अधिक शेयर होल्डिंग अपने पास रखता है। तो वह कंपनी की ग्रोथ में ध्यान देता है।
आपको देखना है, कम्पनी का जो मालिक है उसकी कम्पनी मे अभी भी 51% हिस्सेदारी है या नहीं।
ऐसा ना हो की मालिक अपने सारे शेयर को बेचकर पैसे इकट्ठे करके खुद गायब हो गया क्योंकि कंपनी में अब उसकी कोई हिस्सेदारी तो रही नहीं।
पढ़ें - सबसे सुरक्षित निवेश कौन से हैं ?
कम्पनी का मालिक कम्पनी में तभी फोकस करेगा उस कम्पनी की हर एक्टिविटी पर रिव्यु पर ध्यान देगा और अपनी विज़न को ड्राइव करता है जब प्रमोटर 51% खुद के पास रखता है।
ज्यादातर इन्वेस्टर्स उस कम्पनी में इन्वेस्ट करने पर कम्फर्टेबल वा संतुष्ट होते हैं। यदि प्रमोटर की हिस्सेदारी उस कंपनी में कम से कम 51% हो यह कोई रूल नहीं है, यदि यह और भी जादा है तो और भी अच्छा है।
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कभी कभार प्रमोटर्स अगर बाजार से अपने शेयर वापस खरीद रहा है, तो यह और भी अच्छा संकेत होता है।
जैसे - कोई प्रमोटर सोंचता है की मेरी शेयर होल्डिंग आज 45% है, और मुझे इसे बढ़ाकर 60% करना है। तो वह बाजार से और भी शेयर खरीद लेता है, क्योंकि उसे पता होता है की मेरी कम्पनी भविष्य में और भी आगे जाने वाली है।
बहुत से examples हैं जो यह साबित करते हैं-
- Pidilite जिसके मालिक भरतपुरी हैं, इनकी शेयर होल्डिंग अपनी कम्पनी में आज भी 70% है। और इनकी कम्पनी ने हर 3 साल में पैसा double करके दिया है।
- Cera reflets your style इनके मालिक की इस कम्पनी मे शेयर होल्डिंग 55% है।
- Burger paitns जिसकी प्रमोटर शेयर होल्डिंग 75% है
ऐसी और भी examples हैं
“यदि शेयर मार्किट में कम्पनी के साथ लंबी पारी चाहिए, तो प्रमोटर्स के पास 51% से जादा शेयर होल्डिंग होनी चाहिये ”
6. Profit after tex ( Net profit) - 25 % growth / year-
आप जिस भी कम्पनी मे इन्वेस्ट करने जा रहे हैं, आपको देखना है की उस कम्पनी का नेट प्रॉफिट हर साल कम से कम 25% बढ़ना चाहिए। नेट प्रोफिट का मतलब है, कम्पनी ने एक साल में जितना कमाया उसमे जितना खर्च किया उसके बाद जो बचा उस नेट प्रॉफिट कहते हैं।
पढ़ें - निवेश और ट्रेडिंग में क्या अंतर है?Net profit = total income - खर्च
यानी यदि किसी कम्पनी का नेट प्रोफिट पिछली साल 100 करोड़ था, तो अब 125 करोड़ होना चाहिए। और यदि पिछली साल 500 करोड़ था। तो इस साल 500 का 25% यानी 125 करोड़ और बढ़कर 625 करोड़ होना चाहिए।
जब भी आप किसी कम्पनी के शेयर खरीदें तो कम से कम 4 साल से 10 साल तक का नेट प्रॉफिट जरूर देखें। यदि 25% बढ़ रहा है, तो बहुत अच्छा है
“जब आपको प्रॉफिट चाहिए परमानेंट तो कम्पनी का नेट प्रॉफिट हर साल बढ़ना चाहिए 25% ”
7. Company का revenue और unit sale -
कम्पनी का रेवेनुए वा यूनिट सेल दोनो कम से कम 10 se 15% बढ़नी चाहिए। रेवेनुए का मतलब कम्पनी का टोटल सेल यदि कंपनी ने इस साल 100 रुपए का माल बेचा है, तो अगली साल 120 का बेच रही है या नहीं।
आपको एक चीज और देखनी है, की कहीं कम्पनी प्राइस को बढ़ाकर 100 का माल 120 पर तो नहीं बेच रही है। आपको उसकी यूनिट सेल भी चेक करनी करनी है। बढ़ रही है या नहीं।
यूनिट सेल का मतलब है, यदि पिछली साल कम्पनी ने 100000 प्रोडक्ट्स बेचे है, तो इस साल 120000 बिकने चाहिए इस प्रकार कम्पनी का रेवेनुए और यूनिट सेल दोनो बढ़ना चाहिए।
आपको देखना चाहिए कही कम्पनी ने अपनी प्रॉपर्टी बेच के या कर्जा लेके तो अपनी इनकम को नहीं बढ़ाया। आपको इन्वेस्ट करने से पहले ये चीजें ज़रूर देखनी चाहिए। पढ़ें - निवेश portfolio का अर्थ क्या है? | अच्छा निवेश पोर्टफोलियो, प्रकार, अर्थ, परिभाषा
जैसे -
Marooti suzuki है। इसने 2014 में 10 लाख गाडियाँ बेची यूनिट सेल (2014)- 10 लाख, 2015 में 11 लाख और 2017 में 13 लाख हर साल 10 12% गाडियाँ जादा बेचीं और जादा रेवेनुए भी आया।
यदि केवल रेवेनुए जादा दिख रहा है तो वो कहीं से भी आ सकता है। लेकिन यदि प्रोडक्ट्स बेचकर रेवेनुए जादा हुआ तो यह एक बहुत अच्छा संकेत है, आप ऐसी कम्पनी में निवेश कर सकते हैं।
“उस शेयर की कीमत आसमान चढ़ेगी जिस कम्पनी की सेल हर साल 10 - 15 या 20% बढ़ेगी।
8. Net oprating cashflow-
Net oprating cashflow का अर्थ है, उस कम्पनी में हर साल कैश कितना आता है। कम से कम 20% कॅश फ्लो तो बढ़ना ही चाहिए, आप से आसानी से किसी भी मार्किट एनालिसिस वेबसाइट पर देख सकते हैं। जैसे - tricker tape
Net oprating cash flow यानी बिज़नेस से जो कैश आता है।
किसी भी कपंनी में 3 तरह से कैश आता है -
- Sale- यानी प्रोडक्ट्स बेचकर जो कैश आता है।
- Selling Investment- यानी कम्पनी ने अपने एसेट प्रॉपर्टी बेचकर जो कैश इकट्ठा किया है।
- Loan- यानी कर्जा लोन ले लिया तो कैश आ गया।
हम जिस कैश की बात कर रहे हैं, वह है बिज़नेस के द्वारा आया हुआ कैश, न की लोन या अपना घर बार बेचकर आय हुए कैश की । यदि कम्पनी बार- बार अपनी investments को बेच रही है। या लोन ले रही है। तो यह एक बुरा संकेत है, इससे पता चलता है की कम्पनी में कुछ सही नहीं चल रहा है। आपको इसकी analysis जरूर करनी चाहिए।
जैसे - Dr. Reddys lap यह कलाम satish reddy की कम्पनी है। इनकी कम्पनी का शेयर 4000 का था और 2021 में यह 5000 का हो गया इस तरह इन्होंने 25% की रिटर्न दी। क्योंकि इनका net oprating cash flow 2020 मे 3000 करोड़ था जो 2021 में बढ़कर 3600 करोड़ हो गया।
जो कम्पनी जितना अच्छा कैशफ्लो घेरते करती है। वह उतनी ही जादा ग्रो होती है।
किसी भी कम्पनी में पैसा लगते समय आपको ये 3 चीजें जरूर देखनी चाहिए -
9. Return on capital employe-
यह भी आप इंटरनेट में website से देख सकते हैं । Return on capital employe को short form मे ROCE कहते हैं। आपको जिस भी कम्पनी में invest करना हो उसमें देखें की उस कम्पनी का ROCE 20% से जादा ही हो।
ROCE का मतलब है, कम्पनी का total पैसा यानी कर्जे में लिया हुआ पैसा और share holders का पैसा इन दोनो का टोटल ही ROCE कहलाता है।
मान लो किसी कम्पनी ने 50 रुपए का कर्ज लिया और 50 share holders के हैं, तब इन दोनो को मिलकर total हुआ 100 रुपए। और कम्पनी जब इस 100 से धंधा करती है और 20 रुपए कमाती है, तो इसे ही ROCE कहते हैं । यह 20% से जादा होना चाहिए।
Example-
आपको देखना है, यदि किसी कम्पनी द्वारा लिया गया Loan यानी कर्जे का पैसा 50000 रुपए है तथा share holder का पैसा 50000 है। तब total 100000 हुआ।
अब इस 100000 से कम्पनी को साल के end तक कम से का 20000 का मुनाफा तो होना ही चाहिये। अगर इतना मुनाफा भी नहीं हो रहा तो आपको ऐसी कम्पनी को avoid करना चाहिये, क्योंकि यह इस बात का संकेत है की यह कम्पनी कर्जे व investors के पैसों के साथ खिलवाड कर रही है। पैसे का सही इस्तेमाल नहीं कर पा रही।
जैसे - Nestle आपने इस कम्पनी का name तो सुना ही होगा जिसका ROCE - 139% , जिस company का ROCE जितना अधिक होता है, वह कम्पनी अच्छी मानी जाती है।
10. Return on equity (ROE) -
इसे short form में रोए कहते हैं । Return on equity का मतलब है केवल share holders का पैसा, इसमे कोई भी कर्ज या loan नहीं है। Share holders के द्वारा invest किया हुआ fund और इसपर कम से कम 15% का return तो मिलना ही चाहिए।
आज हमने क्या सीखा:-
आज के ब्लॉग में हमने Share market में invest करना चाहिए या नहीं ? के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी हासिल की Share market investment क्या क्या है, Share market investment कैसे काम करता है, तथा अन्य बातेँ भी हमने सीखी। जो आपको Share market में invest करने में आपकी मदद करेगी ।
आशा करता हूँ आपको हमारे द्वारा दी गई ये जानकारी बहुत काम आय। हमारे द्वारा दी गई इस जानकारी को पढ़ने के लिए अपना कीमती समय देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद 🙏😊
यदि आपको Share market Investment से related कोई जानकारी चाहिए तो आप comment करके हमे बता सकते। हम जल्द ही आपके लिए जानकारी लाने की कोशिस करेंगे।
धन्यवाद ( Thank you)